Friday, October 14, 2016

जागो, बंद आंखे खोलो और देखो

चबंल के बिहड हो या फिर बुदेंल खंड का पठारी इलाका. यंहा घर मे भले ही खाने को कुछ भी ना हो, पूरे इलाके मे भुखमरी   और बेहद गरीबी है पर हर घर मे बंदूक होगी. भेसे चराते हुये भी कंधे पर बंदूक लटकाये घूमते है . मजे की बात यह है की जरा जरा सी बात में वे एक दूसरे की जान लेने से नही चूकते और दुश्मनी पुस्त दर पुस्त निभाते चले जाते है.  यह उनकी आन बान और शान का हिस्सा होता है. समझदार लोग उनकी इस नासमझी का मजाक बनाते है और उनके किस्से मजे लेकर एक दूसरे को सुनाते है. 
आज भारत और पाकिस्तान का भी यही हाल है. दोनों देशों की अधिकांश जनता के पास बुनियादी सुविधायें नही है. भुखमरी, बेरोजगारी, स्वास्थ समस्याये मुह फाडे है. पर इस सब से मूह फेरकर दोनों देश की सरकारे लाखों करोडों रूपया रक्षा के नाम पर खर्च कर रही है दोनों के पास दुनिया की बेहतरीन फौज है, दोनों देशों के पास पूरी दुनिया को कई बार खत्म कर देने लायक हथियार है, . इसके बाबजूद उनके हथियारों की भूख कम होनेे का नाम नही ले रही है. अभी हाल मे दोनों देशों ने हजारों करोडों रूपये रक्षा सामग्री पर खर्च किये है और यह बजट आने वाले समय मे बढता ही जायेगा.
दोनों देशों के हालात देखकर बचपन मे सुनी वो कहानी याद आती है जिसमे  दो बिल्लीयों  एक रोटी के टुकडे किये आपस मे झगड पडी और बंदर ने न्याय के नाम पर दोनों की रोटी खुद खा ली और बिल्लीयां एक दूसरे का मूह देखती रह गई. आजादी से पहले तक दोनों देशों का दुश्मन एक था. आज भी दोनों देशों की समस्यायें समान है. कुछ लोगों के पागलपन के कारण ना चाह्ते हुये हमे विभाजित आजादी मिली देश के तीन टुकडे हुये. उसके साथ ही जबरदस्ती की नफरत हुक्मरानों ने एक दूसरे के लिये अपनी जनता के बीच फेलायी जिससे वो खुद को सही और दूसरे को गलत साबित कर सके. दोनों ने इतिहास से कुछ भी ना सीखने की कसम खा रखी है. 
नफरत फेलाने काम बदस्तूर चालू है. दोनों ही तरफ की सरकारे और मिडिया एक दूसरे को गलत साबित करने मे लगी हुये है. दोनों ही नफरत फेलाने का कोइ मोका नही छोड रहे है. दोनों ही देशों मे पडोसी देश की बात करने वाले को देश द्रोही साबित कराने की होड लगी रहती है. एक दूसरे को नीचा दिखाने का कोइ मौका हाथ से नही जाने देते. एसे मे कुछ देश बंदर की भूमिका निभाते हुये दोनों देशों की हाथियार बेच रहे है, उन्हे उकसा रहे है,  वो कभी नही चाहेगे की दोनों देश दोस्त एक अच्छे मित्र बन जाये, क्योंकी एसा होते ही उनके यंहा भुख मरी के हालात हो जायेगे.
आजादी के बाद तीन युद्ध कर चुके ये दोनों देश चोथे की हसरत पाले हुये है. कहने को तो हम अफगानिस्तान के कबीलों को बर्बर कहते है .... देखा जाये तो हम उनसे किस बात मे कम है. उन्ही की तरह हम भी विरासत मे अगली पीढी को अपने पडोसी के लिये नफरत ही दे रहे है. दोनों ही देश अपने  यंहा पनप रही अलगाववादी ताकतों से परेशान है. असमानता और भुखमरी दोनों ही देश की पहचान है.

अगर दोनों देश सच्चे मित्र बन जाये तो हम विश्व ताकत है, वरना अगर एसा ही चलता रहा तो विश्व के विनाश का कारण भी हम ही बन जाये तो कोई अजीब बात नहीं .