Sunday, March 8, 2015

गर्मा गर्म पानी ....यानी चाय की एसी की तैसी

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पीलिया होने क बाद मुझे चाय और काफी को छोडना पडा क्योंकी उनके पीते ही उबकाइ करने का मन होता था. हमारे घरों मे चाय और काफी अनिवार्य स्वागत पेय है. किसी भी अतिथी का स्वागत आजकल अब इसी से करते है. एसी हालत मे मेरा इसे पीने से मना करना मेजबान को परेशानी में डाल देता और फिर वो ठंडा, सोडा या कोला पीने की पेशकस करने लगते. इसलिये सोची समझी रणनिती का तहत मेने उनसे इसके विकल्प में गर्म पानी मांगना शुरू कर दिया, वेसे भी उन्हे चाय और काफी बनाने के गर्म पानी करना ही होता है. इस तरह में गर्म चाय की जगह गर्म पानी पीने वाला बन गया.
मेने लोगों को पानी मे नीबूं या फिर ग्रीन चाय मिलाकर पीते देखा है, पर मेने चाय की तरह सिर्फ गर्म सादा पानी ही पिया. जब जितनी बार मन ने चाहा उतनी बार पिया, बिना इस डर से की इससे मुझे कोइ नुकसान होगा. इस बात का जरूर ध्यान रखता कि इससे कंही मे अपने होंठ और जीभ ना जला बेंठू. उसकी वजह से मुझे इसे चाय की तरह ही धीरे धीरे पीना पडता. शुरू शुरू मे बेस्वाद लगा पर कुछ दिनों मे ही मुझे उसमें स्वाद आने लगा. अपने ही स्लाइवा का स्वाद जो कभी हल्का मीठा तो कभी कडवा तो कभी खट्टा सा या कभी कभी नमकीन. इसे मेने पहले कभी महसूस नही किया था. महसूस होता भी केसे नोर्मल पानी को एक ही सांस में जो गटक जाता था. वेसे भी स्वाद, अच्छा या बुरा नही होता, यह सब हमारे दिमाग मे है, देखा जाये तो शराब से बुरा स्वाद भी कुछ हो सकता है! पर इसके स्वाद के बारे मे उसके किसी पीनेवाले से पूछों और फिर उसकी आंखों की चमक देखो.
मेरा तो इतना कहना है की आप भी इसे चाय के विकल्प के तोर पर शुरू किजिये और फिर कुछ दिनों मे ही इसका असर देखिये. शुरू-शुरू मे हो सकता है की आपको इसके पीने से एसीडीटी होने लगे या फिर गला सूखा-सूखा सा लगे. अगर एसा हो तो बस आपको पानी की मात्रा को ओर बढाना  है कुछ दिन मे एसीडीटी का एहसास खत्म हो जायेगा.
एक महिने बाद अगर आपको लगे की  चाय इससे बेहतर है तो कोइ बात नही आप फिर से चाय शुरू कर देना. पर मुझे विश्वास है की मेरी तरह आप भी इसके चमत्कारी असर को अनदेखा नही कर पायेंगे.
हमारी बहुत सारी बिमारीयों और शारारिक परेशानीयों की वजह कम पानी पीना है. एक नोर्मल व्यक्ति को अपने शरीर के वजन का 0.06 से 0.08  गुना पानी एक दिन मे पीना चाहिये. यानी की अगर आपका वजन 80 किलो है तो कम से कम 4.5 लीटर पानी आपको पीना चाहिये.  
अगर हम लगातार कम पानी पीते रहे तो कुछ समय बाद शरीर कम पानी को ही अपनी नियती मान लेता है और हमारा शरीर अंगों के महत्व के हिसाब से पानी की राशनिंग तय कर देता है. कम महत्वपूर्ण अंग जेसे स्किन, डाइजिस्टिव ट्रेक, पैनक्रिया, किडनी, हड्डियों के जोड और मांसपेशियां के लिये जबरदस्त राशनिंग और दिमाग और ह्रदय जेसे महत्वपूर्ण अंग मतलब कोइ राशनिंग नही.  
कभी आपने महसूस किया है प्यास से गला सूख रहा है और आप एक-एक बूंद पानी के लिये तरस रहे है. उसके बावजूद आपको भरपूर पसीना आ रहा होता है. जिस समय आप एक-एक बूंद के लिये तरस रहे होते है आपका शरीर पानी को पसीने की शक्ल मे बरबाद कर रहा होता है. असल मे तब वो आपके तापमान को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा होता है. जो आपकी जान बचाने के लिये उस समय ज्यादा जरूरी है.
उसके बाबवजूद अगर आपने कोइ जहरीली चीज खा ली तो तुरंत कई लीटर पानी उबकाई की शक्ल मे भी बाहर आ सकता है, यह सब पानी उसने कंहा से पाया.  सिम्पल, इसे उसने शरीर के दूसरे अंगो से जबरदस्ती हासिल किया. इसे ही राशनिंग कहते है. कब किस अंग को कितना पानी देना है इसका निर्णय लगातार हमारा शरीर लेता रहता है. इसलिये आप इतना पानी पीते रहे की हर समय शरीर में इतना पानी बना रहे की उसे राशनिंग की कम से कम जरूरत पडे. क्योंकी राशनिंग का सबसे पहला असर किडनी फिल्टर पर होता है. हो सकता है पानी की कमी के कारण आपकी पूरी पेशाब ही ना बने. जिसके कारण आपके शरीर का टाक्सिन जो पेशाब के रास्ते आसानी से निकल सकते थे, उनके पूरी तरह ना निकलने के कारण वो बिमारी का कारण बन जाये. 
दुर्गंध युक्त पीली, कथ्थई पेशाब शरीर मे पानी की कमी का संकेत हो सकता है. पानी की लगातार कमी  हमारे कुछ अंगों पर बहुत बुरा असर डालती है. अब पेनक्रिया को ही ले ले इसका हमारे हमारे भोजन के पाचन मे और शरीर में शुगर नियंत्रण मे सबसे बडा हाथ है. अगर हम लगातार कम पानी पीती रहे तो कुछ समय बाद पेनक्रिया कमजोर हो जायेगा. जिसके कारण पहले हमारा पाचन प्रभावित होगा और उसके बाद शुगर नियंत्रण प्रणाली कमजोर हो जायेगी और नतीजा डायबटीज, एसीडीटी और ना जाने क्या क्या.
हमारे खून का PH 7.35 से 7.45 के बीच रहना चाहिये अगर यह 7.35 से कम हो जाता है तो खून अम्लिय (acidic) माना जाता है और अगर यह 7.45 से उपर हो जाता है खून क्षारीय (alkaline) माना जाता है और दोनों ही स्थति मे इसके हमारे शरीर पर गंभीर प्रभाव होते है इसलिये हमारी क़िडनी लगातार इसको नियंत्रित करती रहती है और अतिर्रिक्त अमल्ता या क्षार को पेशाब के द्वारा निकालती रहती है. पर इसके लिये उसे भरपूर मात्रा मे पानी चाहिये होता है.
अगर पानी की कमी बनी रहे तो अमल्ता को नियंत्रित करने के लिये हड्डी मे से कल्सियम लेना शुरू कर देती है और नतीजा ओस्टो प्रोसिस की पूरी संभावना बन जाती है. इसी तरह ब्ललड प्रेशर के कंट्रोल मे भी पाने का बडा महत्व है.   
पानी खाली पेट आसानी से पच जाता है यानी की आंतो द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है. इसके लिये उसे ज्यादा से ज्यादा 20 से 40 मिनिट का समय लगता है शायद इसीलिये हमारे बुजर्गों ने सुबह की शुरूआत भरपूर पानी पीकर करने की सलाह से दी. जिससे रातभर में हुई पानी की कमी को शरीर आसानी से पूरा कर सके.   
भोजन के दौरान या उसके तुरंत बाद पिया गया पानी किये गये भोजन का हिस्सा बन जाता है और वो उस भोजन के साथ ही पचेगा और पाचन को धीमा कर देता है. इसलिये अकसर भोजन के साथ लिया गया पानी पाचन पर अतिरिक्त बोझ साबित होता है और पाचन को कमजोर बनाता है. इसलिये इसे उस समय विष के समान माना गया. 
अच्छा हो की आप पानी को भोजन से आधा घंटा पहले भरपूर मात्रा में पी लें जिससे भोजन शुरू करने से पहले ही वो पानी आसानी से पच जाये. इसी तरह खाने के 1 घंटे के बाद आप भरपूर मात्रा मे पानी पी सकते है. इससे आपका पाचन दुरस्त बना रहेगा. इसके अतिरिक्त जब भी इच्छा हो गर्मा गर्म पानी पीते रहे.
गर्म पानी शरीर की मेटाबोलिक रेट बढा देता है और नतीजा आप बेहतर अनुभव करते है. मेरा अपना अनुभव यह है की गर्म पानी आपके वजन को घटाने मे भी मदद करता है. मेने बिना कीसी अतिरिक्त जिद्दो-जहद के आसानी से 6-7 किलो वजन कम कर लिया है. अब मे पहले से ज्यादा फिट हू स्वस्थ हू.
ध्यान रहे, प्यास लगना एक तुलनात्मक अहसास है, जरूरी नही की वो सही समय पर आपको चेतावनी सिगनल दें, इसलिये आप प्यास लगने का इंतिजार ना करे. अकसर जब हम किसी महत्व्पूर्ण कार्य मे लगे होते है तो हमे भूख और प्यास का पता भी नही चलता. पर इसका यह मतलब तो नही की हमारे शरीर को पानी और खाने की जरूरत ही नही है.
तो फिर क्यों ना भरपूर पानी पिया जाये. पानी धीरे धीरे स्वाद लेते हुये उसे आदर देते हुये पिया जाये. एक बात ओर समझ लीजिये चाय या काफी सादे पानी का विकल्प  नही है. सच तो यह है की चाय और काफी के रूप मे जो टाक्सिन लिया है उस टाक्सिन को निकालने मे ही शरीर को उस से दुगना पानी व्यय करन होगा.
आजकल जूस के नाम पर बजार में ना जाने क्या मिल रहा है. पेप्सी और कोला के नुकसान के बारे मे गूगल करो और खुद जान जाओ.  इसलिये इसे भी सादे पानी का विकल्प मानने की भूल ना करें.
अगर आपको नीचे दी गई लिस्ट मे से किसी एक से भी परेशान है,
·           मोटापा   
·           जोडो मे दर्द
·           हर समय थकान बनी रहना
·           सुबह उठने का मन नही करता है शरीर थका थका सा लगता है   
·           मांस पेसियों मे एंठन रहना
·           त्वाचा रूखी सूखी है
·           सिर मे रूसी
·           डायबटीज
·           क़िडनी इंफेक्शन  
·           जुकाम
·           सिर दर्द रहना  
·           पेट खराब रहना
·           एसीडीटी
·           अकसर कब्ज
·           हाथ पैर ठंडे रहना
·           पाइल्स
·           ब्ल्ड प्रेशर
तो अपने डाक्टर से इस बारे मे बात किजिये और पानी से इसके सबंध के बारे मे पूछिये.
इस बात पर जरूर बहस हो सकती है की पीने के पानी का तापमान क्या हो. कुछ लोग नोर्मल तापमान के पानी को पीने की सलाह देंगे तो कुछ ठंडा पानी पीने का, तो कुछ मेरे जेसे लोग गर्म पानी की. पर कोई भी पानी के महत्व को नजर अदांज नही कर सकता है.
लोग कहते है गर्मी में और गर्म पानी?...कोइ पागल ही एसा सोचेगा.
अजीब लोग है, गर्मी मे गर्म चाय पी सकते है पर गर्म पानी पीने को कहो तो! ..... भगवान ही एसी सोच वालों का भला कर सकता है. वेसे भी डाक्टरलोग पानी उबालकर पीने की सलाह देते है जिससे कि उसके अदंर मोजूद बेक्टिरिया और वायरस खत्म हो सके. अतंर सिर्फ इतना है की लोग उसके बाद उसे फ्रिज मे ठंडा करने के लिये रख देते है. जबकी मेरी सलाह है की उसे चाय की तरह गर्मा गर्म पिया जाये, कम से कम चाय की जगह तो इसे पिया ही जा सकता है.
मेने लोगों को दिन भर में 1 लीटर से भी कम पानी पीते हुये देखा है. उन्हे पता ही नही होता की उनके शारारिक कष्टों की वजह कम पानी पीना है और वो डाक्टरो के यंहा किसी रामबाड दवाइ की उम्मीद मे लाइन लगाये बेठें है.
अति महत्वपूर्ण : आप सुबह की शुरूआत चार से पांच गिलास ( 1 से 1.25 लीटर ) पानी पीने से करे. अगर इसके पीने से आपको चक्कर आने लगे, या हाथ पेरों मे सूजन आने लगे, या नाक से पानी बहने लगे  तो इसे आगे नही करना है और इस बारे मे अपने डाक्टर से बात करे क्योंकी यह कुछ खास बिमारी के लक्षण हो सकते है जेसे हाथ पेरों मे सूजन क़िडनी के ठीक से काम नही करने के कारण हो सकती है. इसी तरह नाक से पानी आना फेफडों की प्राब्लम के कारण हो सकता है और चक्कर आना न्यूरोलोजिकल परेशानी के कारण हो सकता है. 
उम्मीद है की एक महिने तक हर रोज 8 से 10 कप गर्म पानी जरूर पियेंगे. लेख लंबा हो गया है और आप मेरे फंडे से पूरी तरह पक गये है. इसलिये पानी के महातम पर आगे चर्चा किसी ओर दिन, पानी कब, केसे और कितना पीना चाहिये उसके बारे में आयुर्वेद मे विस्तार से समझाया गया है पर उस पर भी चर्चा अगले ब्लाग में.

यह लेख एक सलाह मात्र है. आपके लिये आपके डाक्टर की सलाह सर्वोपरी है.

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