Tuesday, June 3, 2014

गिद्ध् भोज के after affects




जैसे-जैसे 5 जून नजदीक आ रहा है मेरे अदंर का पर्यावरण समर्थक नागरिक जोर मारने लगा है, इसके कारण मेरे आस पास होने वाली पर्यावरण विरोधी गतिविधीयों पर आजकल कुछ ज्यादा ही नजरे इनायत होने लगी है. अब देखो कल की ही बात है, मैं एक शादी मै गया था. मेजबान ने भव्य आयोजन किया था. उससे भी ज्यादा भोजन शानदार था पच्चीस से ज्यादा स्टाल लगे थे चाट से लेकर मटन कबाब तक, इडली से लेकर नूडल्स और आइसक्रीम से लेकर काफी तक सब मोजूद था.  हजार से ज्यादा लोग खाने के लिये जुटे थे. सब कुछ शानदार था फिर मेरा मन क्यों खट्टा हो गया एसा क्या देख लिया था उसने?
समारोह मे खाने की प्लेट और चम्म्च बोन चाइना की थी जो सेंट्रल टेबल पर सलाद के साथ करीने से सजी थी. पर उसके साथ स्टालों पर डिस्पोजेबल प्लास्टिक कप, प्लेट और  चम्मच का भरपूर उपयोग हो रहा था दो स्टालों पर थर्मोकोल के कप और प्लेट मे चाट और सूप सर्व किया जा रहा था. मैदान मे ड्स्टबिन रखे थे और लोग उसमे खाने के बाद बचे हुये खाने के साथ इन कप प्लेटों को डालते जा रहे थे और जेसे ही वो भरता केटरिग का आदमी तुरंत उसे वहां से उठाकर ले जाता और उसकी जगह  खाली कंटेनर रख देता. एक नजर मे देखने मे सब कुछ ठीक था, शानदार था लोग खाने का लुत्फ ले रहे थे...
पर मेरा नामुराद मन इतने से कंहा मानने वाला था. मै केटरिंग के आदमी के पीछे गया जिसने भरा हुआ कंटेनर उठा रखा था की देखें वो इसका करता क्या है. जो देखा उससे मेरा दिमाग चकरा गया पंडाल के पीछे उसने दो बच्चे बैठा रखे थे उन्होने भरे हुये कंटेनर से बोन चाइना की प्लेट और चम्मचे अलग की उन्हे अच्छी तरह से धोया और उसके बाद उस कंटेनर को दोनों ने मिलकर कूडे के ढेर पर खाली कर दिया.
उस कूडे के ढेर पर बचे हुये खाने से सरोबार प्लास्टिक, थर्मोकोल और पैपर प्लेट और गिलासों का अम्बार था और उसके आसपास कुत्ते और गायें जो खा कम और लड ज्यादा रहे थे. देखकर मुझे उल्टी आने को हुइ और मे वंहा से हट गया. अब मेरा मन इस शादी मे नही लग रहा था. बेमन से मेने अपने होस्ट को खाने के लिये धन्यवाद दिया और वर वधू को आशीर्वाद देकर घर वापस आ गया.
पर्यावरण समर्थक मन ने मुझे देर रात तक सोने नही दिया. क्योंकी मुझे मालुम है की इस छोटे से ढेर को कल सुबह एक बढे ढेर पर नगर निगम का आदमी फेंक देगा अगर उसने नही फेंका तो कुछ दिन बाद यह सडक पर उडते हुये नजर आयेगे या फिर किसी नदी नाले को को चोक कर रहे होंगे. इसी तरह तो हो रही है इस शहर की सफाइ... क्या इससे बेहतर नही हो सकता. वो दोनों बच्चे जो उस कंटेनर से बोन चाइना के प्लेट और चम्मच निकाल रहे थे और अगर वो उन्हे निकाल सकते थे, उन्हे धो और पोंछ सकते थे तो उन्होने प्लास्टिक और थर्मोकोल के साथ एसा क्यों नही किया.
जबाब आसान था. बोन चाइना की प्लेट और चम्मच मंहगी थी इस लिये उसे तो दुबारा इस्तेमाल के लिये बचाना था और बाकी सब उनके लिये कचरा था. हम सब को मालुम है की यही कचरा हमारे लिये खतरा बन गया है तो क्यों ना हम इनके इस्तेमाल पर एसे समारोह पर रोक लगा दें.
शायद इस शहर के लिये यह सभंव ना हो पर मेने आज यह प्रण ले लिया है की मै एसे समारोह मै प्लास्टिक और थेर्मोकोल से बने हुये कप प्लेट और चम्मच का इस्तेमाल तब तक नही करूगा जब तक मुझे यह विश्वास ना हो जाये की आयोजक इस्तेमाल के बाद उसका निस्पादन  सही ढंग से करेगें यानी की उसे रिसायकिल यूनिट तक सही सलामत  भेज देंगे. इस लेख के द्वारा मे आप सब से भी विनम्र आग्र्ह करूगा की आप लोग भी एसा ही करे. अपने दोस्तों और घरवालों को एसा करने को कहे. वेसे भी एसे समारोह मे डिस्पोजेबल का प्रयोग बंद होना चाहिये. नगर निगम एसे कचरे के लिये आयोजक पर जबरदस्त फाइन लगाये. जिससे एसा कचरा पैदा ही ना हो. 
इन समारोह में स्टील और बोन चाइना से बने कप प्लेटों और गिलास की ही इस्तेमाल करे और अगर एसा संभव ना हो तो उपवास का बहाना बना कर उस का विनम्रता से बहिष्कार कर दें. इस तरह कम से कम मेरी तरह उस अपराध बोध से तो बचेगें जिसने मुझे देर रात इस लेख को लिखने के लिये मजोअबूर कर दिया है. या फिर पत्तों से बनी दोना पत्तल क्या बुरी है. प्लास्टिक और थर्मोकोल से बनी कप प्लेटों और गिलास का इस्तेमाल तभी अच्छा है जब इन्हे रिसायकिल किया जा सके. ह्म सब यह अच्छी तरह समझ लें की यह अपने आप रिसायकिल नही होती इन्हे रिसायकिल करना पडता है और इसके लिये इन्हे रिसायकिल प्लांट तक भेजना पडता है, इसलिये अगर आप इन्हे रिसायकिल प्लांट तक भेजना सुनिश्चित नही कर सकते तो  इनके उपयोग से बचे.
जो लोग मान बैठे है कि इस कचरे से उनका क्या लेना देना, अगर समय पर सही कदम नही उठाये गये तो अनके लिये वो दिन दूर नही जब कचरा उनके घर के दरवाजे पर सडेगा और जिस जगह से वो निकलेगें सडी बदबू. उससे फेलती बिमारी. ना ना ...यह बद दुआ नही है ...भविष्य का सच है. अरे! क्या आपको यह सब अपने शहर मे दिखाइ नही दे रहा. अगर नही दिखाइ दे रहा तो कार के सीसे नीचे किजिये और अपने आसपास गोर से देखिये. हो सकता है की यह सब आपके घर से थोडी दूर पर हो रहा हो ...उसे आपके घर पर पहुचने में अब कितना समय लगेगा. एक बात अच्छी तरह से समझ लिजिये, यह मुसीबत हमने ही पैदा की है और इसका इलाज भी हमे ही करना है. अगर बडा कदम नही उठा सकते तो कम से कम छोटे-छोटे कदमों से शुरूआत करें और अपने आस पास के लोगों के लिये एक जिंदा मिसाल कायम करें.
यूथ हस्टल एशोसियेशन का मेंम्बर हू.  वो जब भी ट्रेकिंग कराते है तो उनमे शामिल होने वाले मेंम्बर को साथ में अपनी-अपनी  प्लेट और गिलास लाने का नियम सख्ती से पालन कराते है. एक छोटा से नियम पर गजब की ताकत है इस नियम में. वो लोग कितने टन कचरे को फेलाने के अपराध  से बच जाते है. हमसे अच्छे तो जेल के कैदी है जो खाने के बाद अपने कप और प्लेट को खुद साफ करते है जिससे वो दुबारा उन्हे इस्तेमाल कर सके. हमारे गांधी बाबा भी हमसे कुछ एसा ही करने हिदायत दे गये थे. काश हम इन समारोह मे भी कुछ एसा कर पाते. मुझे याद है पहले एसा ही होता था. पर जाने केसे हमारी इस अच्छी परपंरा को किसी की बुरी नजर लग गई. प्लास्टिक के कप प्लेटों में खाकर अपने को साहब समझने लगे. पर्यावरण तो एक व्यापक शब्द है, मुझे तो फिलहाल अपने आस पास सफाइ रहे इसकी फिक्र है पर इसका मतलब यह नही है की मै अपना कचरा कीसी दूसरे की जगह पर फेंक दू.
बायोमास वाला कचरा तो गुजरते समय के साथ अपने आप कुछ दिन मे सड-गल कर जमीन और हवा में मिल जाता है, पर प्लास्टिक, थर्मोमोकोल एल्यूमिनियमऔर् पोलीथीन से बने  टेट्रापैक, ग्लास, कप, प्लेट और थेलियां सालों साल तक जेसी है वेसा ही बने रहती है और जो बरबादी का नाजारा पेश करता है, उसकी कुछ पिक्चर मै नीचे दे रहा हू. इसलिये इसे अगर सही तरीके से रिसायकिल ना किया जाये तो हमारे लिये अभिषाप बन जाता है.
...अरे अपने शहर को साफ रखने मुहिम से नाता तो जोडिये, शुरू तो किजिये फिर देखना आपके अपने दिमाग से कितने आइडिया निकलते है.आज कुछ ज्यादा तो नही हो गया....!!

चलो अब मुझे भी नींद आ रही है बाकी अगले ब्लाग में फिर कभी




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