Sunday, November 10, 2013

ICE- in case of emergency (...?.....)



उत्तरा खंड के वासी और और वंहा गये प्रयटक और तीर्थ यात्री गंभीर त्रासदी से गुजर रहे है. यह एक प्राकृतिक आपदा थी जिसने यह भीषण तबाही मचाइ. पर एसा पहले भी हुआ है और आगे भी होता रहेगा. क्योंकी एसा बहुत कुछ है जिस पर अब भी हमारा कोइ बस नही है. कुछ लोग इसके लिये बेतरतीव विकास और इंसानी लालच को दोष दे रहे तो कुछ लोग ग्रह-नक्षत्रों को.
यह भी सच है की अगर हमने कुछ एतिहियाती कदम उठाये होते तो इसकी गंभीरता को कम किया जा सकता था. हर बार की तरह हमारी सेनाओं ने एक बार फिर अपने को साबित किया की वो शांति के समय भी किस तरह अपने फर्ज को निभाने मे सबसे आगे खडी होती है.  वो शायद एसा इसलिये कर सकी क्योंकी वो इसके लिये प्रशिक्षित थी.
इसके साथ ही बहुत सारे NGO और देश भर मे मोजूद बहुत सारी स्थानिय संस्थाओं ने इसमे बढचढ कर मदद की. पर इसमे आपसी सामंजस्य का अभाव हम सब ने महसूस किया.
यह सच है की जिन पर यह गुजरी उसे शब्दों मे व्यक्त नही किया जा सकता पर एसे समय मे लोगों की थोडी सी मदद और हिम्मत फिर से अपने पेरों पर खडा मे एक अहम भूमिका अदा करते है. इसलिये यह समय उन्हे पहचानने का  भी है जो इस कष्ट के समय आपके साथ कंधे से कंधा मिलाये खडे है. जिन्होने समय पर हस सभंव मदद की. हम उन्हे पहचाने और उन्हे और मजबूत बनाने के लिये हर जरूरी कदम उठाये और उन्हे भी पहचानने जो इस त्रासदी की अनेक वजहों मे से एक थे.
इस त्रासदी से कुछ प्रमुख सबक जो मेरी समझ मे आये वो इस तरह है:

1.   खतरनाक और नाजुक स्थलों को पूरे देश मे चिन्हित करना और उन्हे खतरे के अनुसार ग्रेडिंग़ करना और उसकी सूचना सार्वजनिक करना और उससे जुडे खतरों के बारे मे आम नागरिकों को जागरुक करना.
2.   आपदा कंही भी और किसी भी रूप मे आ सकती है फिर वो चाहे भूकंप हो, दंगे हो, महा मारी हो, बाढ हो, सुनामी हो या फिर न्यूकिलियर रेडियेशन, ट्रेन एक्सीडेंट या फिर आंतकवादी हमला. हर नागरिक यह सुनिशिचित करे की उसे केसे इससे निबटने के लिये सहयोग करना है क्योंकी आप इस मुगालते मे ना रहे कि एसा आप के साथ नही हो सकता .
3.   आपदा प्रबंधन जरूरी नागरिक ट्रेनिंग का हिस्सा हो. इसे हम स्कूल शिक्षा मे शामिल कर बच्चों के लिये अनिवार्य कर सकते है. NCC को स्कूलों और कालेजों मे अनिवार्य किया जाये. कब तक शिक्षा को हम किताबी ज्ञान तक सिमित रखेगें.
4.   अति खतरनाक जगहों पर रहने वाले आम नागरीकों को जरूरी ट्रेनिंग देना. और यह सुनिश्चित करना की जो लोग अति खतरनाक जगहों पर पर जाना चाहते है उन्हे इसके लिये जरूरी ट्रेनिंग मिली हो.
5.   एसी व्यवस्था हो जिससे एसी जगहों पर लोगों का सही संख्या और लिस्ट का पता लग सके.
6.   शांति के समय moke drill  जिसमे आम नागरिक इसका हिस्सा हो , समय समय पर आयोजित की जानी चाहिये. जो हमारी तैयारी को सुनिश्चित करेगी. अब तक यह सिर्फ सेनाओं के लिये ही आयोजित की जाती है. या फिर कभी कभी फायर बिर्गेड इसको करती नजर आती है.
7.   सभी अपने मोबाइल मे उस जगह से संबधित आकस्मिक नम्बर जरूर स्टोर करे
8.   ICE(in case of emergency) के नाम से एसा नम्बर स्टोर करे जिसे अगर आप किसी मुसीबत मे फंस गये हो तो मददकर्ता आपके मोबाइल से उस पता कर उस नम्बर पर मेसेज दे सके. एसे समय मे बेहद किमती समय अकसर सही नम्बर पता करने मे नष्ट हो जाता है.

जेसे जेसे ओर सुझाव मुझे मिलते जायेगे मे उसे इस पोस्ट में उसे शामिल करता जाउग़ा.

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