Thursday, May 23, 2013

बहुत फर्क पडता है!

फेस-बुक पर अन्ना आंदोलन के समय बहुत सी प्रतिक्रियायें सुनने को मिलती थी उसमे से एक बहुत ही लोकप्रिय प्रतिक्रिया थी


“kisi ko kisi ke certificate se farak nahinpadta,sabko apna apna kam emandari se karna chahiye…!!!”

सुनने मे वाक्य बहुत अच्छा लगता है और एक नजर से देखने मे कोइ बुराइ भी नजर नही आती. हम सब इमानदार लोग अकसर इसी को मानते हुये अपना काम इमानदारी से करते रह्ते है, कई बार सोचे समझे बगेर की हम किस के लिये काम कर रहे है और क्यों कर रहे है. एक टेक्सी चालक किसी चोर और ह्त्यारे को जाने अनजाने इमान्दारी से अपने गंतव्य तक पहुचा देता है. अगर उसे मालुम हो की जिसे ले जा रहा है वो चोर है या डाकू तो भी क्या हम उससे व्यव्सायिक इमानदारी की उम्मीद करे. अगर यह जानते हुये की उसकी टेक्सी मे जो है बैठा है वो चोर है, बइमान है, या ह्त्यारा है उसके बाबजूद भी अगर कथित इमानदारी के तहत उसे उसके गंतव्य तक पहुचा देता है तो आप क्या कहेगे. इसी तरह अगर किसी होटल मे आने वाल व्यक्ति कोन है उससे होटल वाले को अगर कोइ मतलब ना हो और वो इमानदारी से उसकी सेवा करता रहे क्योंकी वो उसका बिल चुका सकता है. अगर आप को इस सब मे कोइ खराबी नजर नही आ रही है तो सभंल जाइये क्योंकी हमारी इसी व्यव्सायिक इमानदारी का या फिर भोलेपन का या अनजाने पन का लाभ कुछ लोग उठाकर हमारा ही वजूद खतरे मे डाल रहे है.

किसी भी आंतकवादी के हमले मे या फिर किसी भ्रष्ट की अकूत कमाइ मे हमारे जेसे इमानदारों की एक लम्बी कडी होती है. हम अपना काम शायद इस उम्मीद मे इमान्दारी से करते रहते है की उस बईमान की सजा खुदा देगा. या फिर बईमान को सजा देना का काम तो सरकार का है पुलिस का है...हम क्यों परवाह करें!

हथियार बनाने वाली फेक्टॅरी मे अगर कोइ काम इमानदारी से करता है और इसी के बनाये हथियार कोइ उसके विरूध इस्तेमाल कर देता है! एसे लोग लाखों मे है और हर गली महोल्ले मे है जो हमारे भोलेपन का , अनजानेपन का फायदा उठाना चाहते है.

समय तेजी से बदल गया है. अब सिर्फ हमारे खुद के इमानदार होने से ही काम नही चलेगा. हमे इस बत की भी तसल्ली  करनी होगी की जिस के लिये हम काम कर रहे है वो भी हमारी इमानदारी की कसोटी पर खरा उतरे. यह जानने की पूरी कोशिश करे की जिसके लिये हम काम कर रहे है उसका मकसद क्या है यह जानना अब हमारे जेसे इमान्दारों की सुरक्षा के लिये जरूरी है. नही तो मुबंई जेसे हादसे कभी भी और कंही भी होते रहेगें.

क्या हम किसी को सिर्फ इसलिये माफ कर सकते है की उसने अपना काम इमानदारी से किया था, अगर हां तो जब आपका अपाना कोइ हताहत होता है तब आप उन सब के खून के प्यासे क्यों हो जाते है जिनका उस घटना से कोइ सीधा सबंध ना हो.

आप यह बात अच्छी तरह समझ ले की कोइ भी आतंकवादी या भ्रष्टाचारी हमारे जेसे इमानदार की ही तलाश मे रहता है. एसा इमानदार जो उससे बिना कोइ सवाल किये बस उसका काम कर दे. और जब चाहे अपनी ओछी हरकत से उन्हे कभी भी अपने मकसद के लिये जब चाए भडका सके

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