Monday, December 12, 2011

भ्रष्टाचार के नाले में

मेरा देश इंडिया दुनिया का सबसे बडा लोकतंत्र
इसका नागरिक होने का अविवादित लाभ यह कि
यहां आप पूरी तरह स्वतंत्र है कि
सच-झूट, सार्थक-निरर्थक, मीठा-कड़ुआ
आप जो चाहे कर लें
भ्रष्टाचार के नाले में
जब चाहें, जितना चाहें नहा ले
पर इसी देश ने अपने नागरिकों को
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी दी
इसी का लाभ लेते हुए
मैं कुछ कहने जा रहा हूं
ओछी राजनिती का गंदा राज खोलने जा रहा हू
क्षमा करें यदि आप ‘ऑफेंडेड’ या आहत हों
पर क्या गलत कर रहा हूं?
‘फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन’ नामक अधिकार
का ही तो प्रयोग कर रहा हूं,
इसलिये राज की बात ध्यान से सुने कि
प्रधानमंत्री देश का असरदार सरदार होता है
पूरे देश के राजकाज को
करीने से चलाने के लिए जिम्मेदार होता है
अगर वह बेईमान लोगों को साथ लेकर चल रहा हो
उनको जो जी में आए उसे करने की छूट देता हो
उनके क्रियाकलापों की समीक्षा करने से कतराता हो
तो उसे पाक साफ नहीं कहा जा सकता है
क्योंकी कोई भी ईमानदार व्यक्ति
बेईमान लोगों की शर्तों पर
राजकाज चलाने को तैयार नहीं हो सकता
भ्रष्टाचार बढ़ता जाए
लोग ‘त्राहि माम’ कहने लगें
फिर भी प्रधानमंत्री ‘गठबंधन धर्म’
जैसे भ्रामक शब्द
बोलकर अपने दायित्व से बचता रहे
और निहायत बचकानी हरकत करते हुये
स्वच्छ छवि वाली स्वपोषित स्वघोषित घोषणा कराता रहे
कभी-कभी तो मुझे लगता है
कि वो महात्मा गांधी के
‘तीन बंदरों’ का अनुयायी हैं
इसलिये भ्रष्टाचार के बारे में वो
न देखता है, न सुनता और न कुछ बोलता हैं
शायद चुप्पी लगा आँख मूंद सोच लिया उन्होने की
समय के साथ, सब शांत हो जाएगा
जनता कि है यादाश्त कमजोर, सब वो भूल जयेगी
पर उन्हे नही मालूम की जनता को
खाने को मिले या न मिले
पास में पहनने-ओड़ने को कुछ रहे या न रहे,
खुले आसमान के नीचे पडे रात गुजारनी
फिर भी वो दाग़ी को छोडते नहीं ये बात है पुरानी

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