Monday, January 17, 2011

एक अफ़गानी शहर…

सूरज डूब गया,
मलवे का ढेर
ये शहर डूबा हे अँधेरे में,
रोशनी का एक कतरा भी नहीं!
उजाड़ बियाबान
सूनी सड़कें,
दो पैर के
किसी भी चलते फिरते
जानवर को
गोली मारने का
खुला आदेश
कुछ आवारा
कुत्ते गली में घूमते ...
टूटी फूटी दीवारों
के पीछे डर
से कांपती आंखें!
भूखे पेट
सहमे बच्चे,
रोना कब के भूल चुके
कुछ दिन पहले
ये शहर जिंदा था. 

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